व्यर्थ बने जाते हो हिरजन, तुम तो मधुजन ही अच्छे,
गिरती जाती है दिन प्रतिदन प्रणयनी प्राणों get more info की हाला
स्वर्ग, नरक या जहाँ कहीं भी तेरा जी हो लेकर चल,
वही वारूणी जो थी सागर मथकर निकली अब हाला,
कंठ बंधे अंगूर लता में मध्य न जल हो, पर हाला,
बचपन में एक कव्विता पढ़ी थी जो अब याद नहीं रही .
जमे रहेंगे पीनेवाले, जगा करेगी मधुशाला।।२१।
मेरे टूटे दिल का है बस एक खिलौना मधुशाला।।७७।
फेनिल मदिरा है, मत इसको कह देना उर का छाला,
बिना पिये जो मधुशाला को बुरा कहे, वह मतवाला,
अरूण-कमल-कोमल कलियों की प्याली, फूलों का प्याला,
जब न रहूँगा मैं, तब मेरी याद करेगी मधुशाला।।७१।
पथिक, न घबरा जाना, पहले मान करेगी मधुशाला।।१३।
सबक बड़ा तुम सीख चुके यदि सीखा रहना मतवाला,